
मैं दारू नहीं पीता लेकिन ऐसी जमात के बीच काम करता हूं जहां ज्यादातर लोग शराब खूब पीते हैं. पार्टी शार्टी में जब साथी लोग पीकर टल्ली हो जाते हैं तो उनका भूत उतारने और घर तक पहुंचाने का जिम्मा मेरा होता है. कल भी एक पार्टी थी. उसमें कइयों का भूत झाडऩा पड़ा. टल्ली भी अलग अलग किस्म के हाते हैं. मेरे एक साथी दारू पीकर बॉस को जरूर गरियाते हैं और नशा उतरने पर उन्हे कुछ नहीं याद रहता. एक साथी पार्टी में पीने के बाद उल्टी जरूर करते हैं. और एक साथी ऐसे हैं जो इतना पी लेते हैं कि अगले दिन आफिस आने की हालते में नहीं रहते. ऐसा भी नहीं कि मैने शराब चखी नहीं है. जब हास्टल में था तो 'लाओ देखें जरा स्टाइल में कभी रम, कभी व्हिस्की, कभी स्काच तो कभी जिन का एक-आध पैग ले लेता था फिर पछताता था. इस लिए नहीं कि कोई पाप किया बल्कि इस लिए कि अगले दिन खोपड़ी जरूर भन्नाती रहती थी. एक बार न्यू इयर ईव पर मुझे थोड़ा जुकाम था. एक मित्र ने जबरन थोड़ी जिन पिला दी. पता नहीं क्या हुआ कि गले 15 दिन तक मैं कफ से जकड़ गया. मेरी सूंघने और सुनने की क्षमता जाती रही. लोग बोलते थे तो मैं कान के पास हाथ ले जाकर आंय-आंय करता था. दोस्तों ने खूब मजा लिया कि अबे ओझवा के कान में जिन घुस गया है. यह जिन एंटीबायटिक लेने से ही भागा. उस दिन से कान पकड़ लिया. ओझवा के कान में जिन
bhai sahab, ojhagiri me bhut jhadne ka kaam bhi suru kar diya, bahut khub
ReplyDeletebhai sahab kya baat hai ab likhna band kar diya kya aapne. kuch naya nahi mil raha aapke blog me
ReplyDeletenarayan narayan
ReplyDelete