Wednesday, January 28, 2009

सेक्स का भाई एक्स

लुकिंग सेक्सी, लुकिंग यंग. जिसको देखो सेक्सी और यंग होने की बात कर रहा है. पहले तो लोग सेक्स शब्द जुबान पर लाने में भी संकोच करते थे. और अब सेक्स का भाई एक्स भी आ गया है. यंग बोले तो सिक्स पैक ऐब्स, मोर यंग बोले तो एट पैक ऐब्स, स्लिम, जिरो फिगर, नो ग्रे हेयर, कूल, रिंकल फ्री फेस और एक्स फैक्टर. यूथ यानी एनर्जी, फैशन, पैशन, जुनून. यूथ माने सिक्सटीन प्लस, ट्वेंटी प्लस और हद से हद थर्टी प्लस. जो लोग लाइफ स्पान की इस हद को पार कर चुके हैं उनके लिए क्या? उनके लिए है यूथफुल होना. यूथफुल होने की कोई बंदिश नहीं. यानी जो अच्छा लगे करो, जो जी में आए करो, जी खोल कर करो, जब तक चाहे करो. मुझे नहीं लगता इससे दूसरों को कोई परेशानी होती है. आप जि़ंदगी भर युवा बने रहिए, किसने रोका है. आप समय से पहले बुजुर्गों की तरह बिहेव करने लगिए, कौन रोकेगा. रोकने और टोकने से कुछ होता है भला. गुननेे-बुनने, सुनने-सुनाने, एज और आइडिया में तालमेल बैठाने में लगे रहेंगे तो समय से पहले ही ओल्ड हो जाएंगे, लाइफ की हाफ सेंचुरी के बाद ही बोल्ड हो जाएंगे. ये थॉट हमेशा एनर्जी से भर देता है कि यंगस्टर्स को बिग बी आज भी भी फेसिनेट करते हैं. जीन हैकमेन, चार्स ब्रॉनसन, ब्रूस विलिस जैसे एक्टर आज भी युवाओं की पसंद हैं. इनके सिक्स पैक ऐब्स को नहीं, एक्स फैक्टर को पहचानिए. आपने सोचा है कि यूथफुल थिंकिंग के इस खेल में केमिकल लोचा है. यस, यूथफुल थाट का डोज देने वाला केमिकल तो आपके और हमारे मगज में बैठा है. मैं इसे रुमानियत कहता हूं. साइंस में इस केमिकल का नाम है डोपामिन. और मेरा मानना है कि रूमानियत, खुशनुमा एहसास, कुछ-कुछ होने की फीलिंग है 'एक्सÓ फैक्टर. जो एक्ट्रेस आपको टीन एज में सेक्सी लगती थी वह फॉट्टी प्लस या फिप्टी प्लस वालों को सेक्सी क्यों नहीं लगनी चाहिए. ये नियम मेन और वुमन, दोनों पर एक ही तरह से लागू होते हैं. किसी पार्क, मार्केट, में किसी लेडी या गर्ल को देखते ही आपके आंखों में फैंटसी तैर जाती है या रुमानियत का सुरूर छाने लगता है, आपको बीते दिनों की कोई कहानी, कोई साथी कोई, शरारत याद आ जाती है, आप खुश हो जाते हैं, तो इसमें हर्ज ही क्या है. किसी में एक्सÓ फैक्टर नजर आता है तो कहे का टेंशन. बस अपने प्रति ईमानदार रहिए और ध्यान रखिए कि आपका बिहेवियर और फैंटसी किसी को हर्ट न करे, इसमें ऐब्सीनिटी न हो. आजमा कर देख लीजिए यही है हेल्दी फीलिंग्स का एक्स फैक्टर, जो आपको हमेशा तरोताजा रखता है. बिल्कुल मस्त. यह बोर नहीं होने देता. यही फार्मूला सब पर लागू होता है. बचपन से ट्रेन पर बैठना और दे ाना अच्छा लगता था, अब भी लगता है. एक दिन रेलवे क्रासिंग पर दोस्त से कहा यार पांच मिनट रुक जाओ, एक ट्रेन दे ा लूं. उसने अजीब नजरों से घूरा. दोस्त शायद मुझसे उम्र में छोटा था लेकिन उसकी आंखों के पीछे बुजुर्गियत कहीं जयादा नजर आ रही थी, वैसी ही जैसी उम्र बढऩे के साथ बालों पर नजर आती है. और मेरे अंदर डोपामिन हिलोरे मार रहा था. तभी धड़धड़ाती हुई ट्रेन निकल गई. मेरी धडक़न थोड़ी बढ़ी हुई थी-वाह! क्या स्पीड थी. ये फीलिंग वैसी ही थी जैसी कोई खूबसूरत सी लडक़ी अचानक सामने आ जाए और लगे वॉव! ये आपकी फीलिंग्स हैं इसे कोई नहीं छीन सकता. तो सोच क्या रहे हैं रुमानियत में गोते लगाइए और ईमानदारी से बताइए कि किसी को देख कर आपके मन में कुछ कुछ होता है. नहीं होता तो आपमें कुछ केमिकल लोचा है. मेरी डोपामिन की डोज तो ठीक काम कर रही है. अच्छा फिर मिलते हैं.

1 comment:

  1. honest and thought provoking
    it is not the supression(sex) but the transformation by which one can enjoy one's feelings towards opposite sex....enjoy but with complete awareness..

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kya baat hai