Thursday, April 23, 2009

डंडा, बांस, बत्ती और मिर्ची

डंडा, लकड़ी, बांस, बत्ती, अंगुली, मिर्ची, इनका प्रयोग अचानक बढ़ क्यों गया है। हरकोई डंडा, बांस और लकड़ी लिए घूम रहा है और जरा सी बात पर उसके सदुपयोग पर उतारू हो जाता. कोई डंडा कर रहा है, कोई बांस और किसी को तो लकड़ी करने में ही आनंद आ जाता है. और तो और लोग बात-बात में उंगली करते फिरते हैं. आम आदमी के पास आजकल ये कुछ ऐसे हथियार आ गए हैं जिनका निशाना ड्रोन की तरह अचूक है एक बार छोड़ दिए गए तो निशाने पर लगते जरूर हैं. जैसे आजकल अफगानिस्तान का सबसे निरीह क्षेत्र स्वात वैली है, जिसको देखो वही घुसा जाता है. उसी तरह में लोग डंडा, लकड़ी, बांस, को शरीर के सबसे निरीह क्षेत्रपर टारगेट किए रहते हैं. फर्क बस इतना है कि स्टील्थ बॉम्बर की तरह यह दिखाई नहीं देता, बस इसका असर महसूस किया जा सकता है. जब यदाकदा इनके निशाने चूक जाते हैं तो लोग 'बत्ती' का प्रयोग करते हैं. जब चाहा कह दिया 'बत्ती बना लो' . इसका असर लैंड माइन्स की तरह होता है और आपको इसके ऊपर से गुजराना ही होता है. टारगेट एरिया वही निरीह क्षेत्र.मिरची भी मुझे अचानक बहुत खूबसूरत लगने लगी है. पहले सिर्फ खाने में प्रयोग होता था अब गाने और लगाने में भी होता है. इस नाम के एफएम चैनल भी है. आप भले ही मिर्ची ना खाते हो लेकिन मिर्ची लगती जरूर है न लगे तो लोग कह कर लगवा देते हैं और टारगेट होता है वही निरीह क्षेत्र. लाल मिर्ची भी इतने किस्म की होती है यह अब पता चला. पहले कश्मीरी लाल मिर्च और पहाड़ी मिर्च ही सुनी थी, अब देग्गी मिर्च और तीखा लाल भी मैदान में है. इन मिर्चों का खरीदने की जरूरत नही है. आपकी जुबान ही काफी है. आपने कहा नहीं कि मिर्ची क्यों लग रही है? बस दूसरे पर असर तय है. निश्चिंत रहिए. मेरे पास इस समय ना तो बांस है ना लकड़ी और ना ही मिर्ची. मैं तो बस यूं ही लोगों की बात कर रहा था. वैसे एक राज की बात बताऊं कोई बांस या लकड़ी का प्रयोग करे तो आप 'बत्ती' वाला अस्त्र चला दीजिए, बिल्कुल 'पैट्रियाट' मिसाइल की तरह हमलावर पर असर करेगा.