Sunday, November 15, 2009

कोई टुन्न (टल्ली) कोई सेलफोन पर

ड्रंकेन ड्राइविंग ने फिर चार लोगों की जान ले ली. इस बार हादसा नोएडा में हुआ. आप लकी हैं कि खबर आपके शहर से नहीं आई. लेकिन खबर कभी भी आ सकती कि सेलफोन पर बात करते हुए किसी ने राहगीर पर कार चढ़ा दी या नशे में धुत ड्राइवर ने फुठपाथ पर सो रहे लोगों को हमेशा के लिए सुला दिया. मोटर वेहिकल एक्ट की धराएं सख्त होती जा रही हैं फिर भी हादसे कम होने के बजाय बढ़ रहे हैं. हो सकता है आपके शहर में कभी-कभी ट्रैफिक वीक या मंथ मनाया जाता हो. लेकिन इसमें सारा जोर अवेयरनेस पर कम, फाइन ठोंकने पर ज्यादा रहता है. ऐसी खबरें शायद ही आती हैं कि ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट में फेल होने पर इतने लोगों पर फाइन किया गया या उनके डीएल जब्त किए गए. सड़क किनारे खड़े हो थोड़ी देर वॉच कीजिए, ड्राइव करते और आराम से सेलफोन पर बात करते कई लोग दिख जाएंगे. आप ट्रैफिक रूल्स फालो करते हैं लेकिन ये आपकी सेफ्टी की गॉरन्टी नहीं. हो सकता है कि सामने से आने वाला ड्रंक हो या सेल पर बात में मशगूल हो. शाम के बाद तो खतरा और बढ़ जाता है. अमेरिका, यूरोप में तो और भी सख्ती है. कुछ दिनों पहले कैलिफोर्निया के गर्वनर अॅर्नाल्ड श्वाजऱ्नेगर की वाइफ को ड्राइविंग के समय सेल फोन पर बात करने पर फाइन झेलना पड़ा था. इसी तरह फुटबाल स्टार बेकहम को भी ड्राइविंग के समय सेल फोन से खेलते लासएंजेल्स पुलिस ने धर लिया था. लेकिन इंडिया में तो छोटे-बड़े सब ट्रैफिक रूल्स तोड़ते हैं और कभी जुगाड़ से तो कभी धौंस देकर बच जाते हैं. दोष ट्रैफिक पुलिस को क्यों देते हैं. नियम तोड़ कर वसूली का मौका तो हम ही देते हैं. आप सही रास्ते पर चलिए, पुलिस भी रास्ते पर आ जाएगी.