Friday, June 18, 2010

ब्लॉगिंग का मतलब बेलगाम होना नहीं

एक कहानी पढ़ी थी ‘रूल्स आफ द रोड’. इस कहानी में एक शख्स सडक़ पर छड़ी घुमाता जा रहा था. ठीक पीछे चल रहे दूसरे शख्स ने जब विरोध किया तो छड़ी घुमाने वाले ने कहा कि वो कुछ भी करने को स्वतंत्र है. पीछे चलने वाले ने कहा, याद रखो तुम्हारी आजादी वहीं खत्म हो जाती है जहां से मेरी शुरू होती है. यानी आजादी का मतलब दूसरों की आजादी में दखल नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने हाल में कुछ ऐसा ही फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी जज को ब्लॉग और अखबारों में किसी के बारे में असंयमित टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है. जज ही क्यों, यह बात तो सब पर लागू होती है. ब्लॉगिंग के संदर्भ में ये फैसला और भी रेलेवेंट है. इंटरनेट का विस्तार जितनी तेजी से हुआ है उतनी ही तेजी से ब्लॉगिंग पॉपुलर हुई है. पहले ये माना जाता था कि अगर आपका कोई ई मेल आईडी नहीं है तो आप समय की रफ्तार से नहीं चल पा रहे हैं. अब ये माना जाता है कि अगर आप ब्लॉगर नही हैं तो आप पुराने जमाने के हैं. ब्लॉग की सफलता का कारण क्या है? दरअसल ब्लॉगिंग अभिव्यक्ति का एक सशक्त माध्यम है. लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब निरंकुशता नहीं है. ब्लॉगर्स को इस बात का ध्यान रखना होगा कि उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कहीं दूसरों की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप तो नहीं है. अच्छे कंटेंट वाले ढेर सारे ब्लॉग हैं तो ऐसे ब्लॉग और ब्लागर्स की भी भरमार है जो व्यक्तिगत आक्षेप, घटिया, अशोभनीय और अनैतिक टिप्पणियों से भरे हुए हैं. कुछ ब्लॉग तो राग-द्ववेष का अखाड़ा बन कर रह गए हैं. ऐसे में जरूरी हो गया है कि ब्लॉग कंटेंट के लिए भी आचार संहिता बने और उसका सख्ती से पालन हो. ब्लॉ पर किसी को भी गरियानी के बढ़ती प्रवृत्ति पर अंकुश लगाना ही होगा वरना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अराजकता को जन्म देगी.

6 comments:

  1. kam se kam bhartiyon ko technology uljalool dhand se use karne ki aadat hai, jimmedari ka ehsaas karati is post ke liye aapko sadhuvaad,

    ojhagiri zari rahe

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  2. दायरा तो होना ही चाहिए

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  3. राजीव जी ,
    बहुत सही विश्लेषण किया है आपने । ज़रूरी हैं की लोग दूसरों की शालीनता का नाजायज़ फायदा न उठाएं। एक दुसरे की स्वतंत्रता का परस्पर सम्मान करें , यही बेहतर होगा।

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kya baat hai