Sunday, February 01, 2009

लांग लिव राजाबाबू
राजाबाबू की तो डेथ हो गई. सुन कर विश्वास नही हुआ. कैसे हुई डेथ, किसने बताया? कोई कह रहा था. कौन? ठीक से याद नहीं. अरे वही राजा बाबू न जो ई टीवी में था. हां वही मथुरा वाला. सुन कर मन भारी हो गया. राजा बाबू कोई रॉयल फैमिली से नहीं था. राजाबाबू तो बस राजाबाबू था. हर कोई राजाबाबू थोड़े ही होता है. एक न्यूज चैनल का डिस्ट्रिक्ट करेस्पॉडेंट. लेकिन थोड़ा अलग था राजाबाबू. वही राजा बाबू जिसने हेड फोन लगा कर अपनी पी-टू-सी भेज दी थी. इसके पीछे उसका अपना तर्क था- कैसे पता चलता कि रिकार्डिंग सही हो रही या नहीं. वही राजा बाबू जिसको एक बार भू- माफिया ने धमकी दी तो वो तीन दिन की छुट्टी लेकर घर अलीगढ़ चला गया और अपना बीमा करा कर लौटा. माफिया से बोला अब मार भी दोगे तो घर वालों को पांच लाख मिलेंगे. घर वालों ने मेरी पढ़ाई पर इससे ज्यादा नहीं खर्च किया है. भू- माफिया ने हाथ जोड़ लिया, कहा अब कुछ भी लिखो कोई नाराजगी नहीं. आज से आप मेरे छोटे भाई. ऐसा राजाबाबू कैसे मर सकता है. एकबार डीएम ने उसे अपने कमरे के बाहर कुछ ज्यादा ही इंतजार करवा दिया. नाराज राजाबाबू एक चिट छोड़ गए-डीएम साहब मेरा वक्त भी कीमती है मुझे भी ऊपर से अफसरों की डाट पड़ती है. डीएम ने एक अफसर को भेज कर उसे वापस बुलाया. एकबार उसे फोन किया तो गलत नंबर लग गया. किसी महिला ने उठाया. मैंने कहा राजाबाबू से बात कराइए. महिला ने खिलखिलाते हुए फोन अपने हसबैंड को थमा दिया. तब पता चला कि नंबर गलत था. फिर राजाबाबू से मेरा सम्पर्क टूट गया. एक बार चेन्नै से उसका फोन आया था. वह किसी मैगजीन में था. फिर कुछ दिन पहले किसी ने बताया कि राजाबाबू नहीं रहे. फिर कल किसी ने बताया कि नहीं राजा बाबू तो अलीगढ़ में हैं. उन्होंने फोन नंबर देने का वादा किया है. मैं खुश हूं नंबर भले ही न मिले लेकिन राजाबाबू अलीगढ़ में खुश रहें. राजाबाबू ऐसे थोड़े ही मरते हैं. लांग लिव राजाबाबू.

1 comment:

  1. babu moshaye raju jinda hai abhi...raju marte nahi...acha laga apke is blog ne 1 dilchasp vyakti se parichit kara diya...

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kya baat hai